विवाह पूर्व समझौता सबंधी कानून पर हमारे देश में चर्चा शुरु हो गयी है ।देर सवेर इस तरह का कानून हमारेदेश में बन जायेगा ।पूर्व में भी महिला सशक्तिकरण के कानून हमारे देश में हैं ।माता पिता की सम्पति में बेटी का हक,घरेलू हिंसा, इत्यादि।
परन्तु इन कानूनों के साथ साथ कुछ सवाल हमेशा मेरे सामने खडे रहते है।1
औरत घर की धुरी होती है।वो माॅ ,बेटी बहन ,पत्नी ,और बहुत से रिश्तों से बंधी होती है तो पुरुष भी इसी प्रकार पिता बेटा भाई और उन सभी रिश्तों मे बन्धा है फिर औरत के रिश्तों को इतना भारी बना दिया जाता है और पुरुष अपने रिश्तों में इतना जकडा हुआ प्रतीत नहीं होता।जितना महिला स्वय को जकडा हुआ महसूस करती है।
यह बात ठीक है कि औरत घर की धुरी होती है ।वो माॅ बनने जैसा जोखिम भरा कार्य करती है यह गुण उसे प्राकृति ने दिया है।वो परिवार को वंश देती है पर फिर उसी पर हिंसा होती है ।घर से निकाली जाती हैं।जीवन भर संघर्ष के बाद भी उसे हमेशा बेघर सा रहना पडता है।
गत दिनों से मैं एक घरेलू हिंसा के मामले में परिवार की किसी लड़की को समस्या से निकलने की कोशिश कर रही हूं यह लडकी 17 साल का परिवारिक जीवन और 12 साल का बेटा छोड कर माॅ और भाई के घर आ गयी। तीन माह पूर्व जब वो मायके आई थी तब
उसके पावं नील से सूजे हुये थे। पेट में से पस आ रहा था ।भाई और माॅ ने इलाज करवाया।पर ठीक होते ही मायके वालों को भी बोझ लगने लगी।वो समस्या लेकर मेरे पास आये। लडकी से बात करने पर पता चला कि वो 17साल से इसी प्रकार हर दो चार माह में पीटती है पर उसने मायके में कुछ बताया नहीं पर अब उसकी सहन शीलता जवाब दे चुकी है।अब वो ससुराल अपने ससुराल वालों द्वारा लिखित आश्वासन के बाद ही जायेगी। विवाह पूर्वसमझौता कानून पर सब तरह से विचार होगें तभी कानून बनेगा।
परन्तु समाज के लोग जो कभी बेटी लाते है कभी बेटी देनी भी है।बहू को यातना कैसे दे सकते है।दूसरा मां बाप से मेरी गुजारिश
है कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाये । विवाह की जल्दी में उसे दूसरे के गले की घण्टी न बनाये।दूसरी तरफ पुरुष को समझना होगा कि
तलाक,छोडना , यतना देना पुरषत्व की निशानी नहीं है।
नियम कानून बनाना अच्छा है महिलासशक्तिकरण अच्छा है पर इससे पहले अपने विवाह संस्का र में जो हमारी स॔स्कृति का आधार है उसे दोनों पक्षों कोअपने अपने अहम् छोडकर अपना दायत्वि का निर्वहन करना चाहिये। क्योंकि चाहे विवाह पूर्व समझौते से अलग हो या तलाक से परिवार तो बिखरेगा बच्चे तोप्रभावित होगे।इसलिये हमें अपनी सास्कृंतिक धरोहर विवाह संस्था पर गर्व महसूस करते हुये पति पत्नी दोनो को व्यक्तिगत अहम् छोडकर विवाह को जीवन का हिस्सा मानते हुये जिन्दगी चलनी चाहिये।
Thursday, November 12, 2015
विवाह पूर्व समझौते का कानून
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