सडक परचलतेचलते
जिन्दगी का फलसफा
बहुत अर्से बाद समझ आया।
मैं साइड लेन से मुख्य लेन पर आ रही थी,
जिन्दगी जहाॅ सरपट दौडी जा रही थी।
साइड लेन से मुख्य लेन पर जुडने के लिये
मैने गाडी को हौले से ब्रेक लगायी और गाडी
को मुख्य लेन पर लायी।
कम गति से मैंने साइडलेन से
मुख्य लेन में अपने लिये जगह बनाई।
सड़क का नियम जिन्दगी पर कितना
खरा उतरता है।
पहले भाईयों में अपनी जगह बनाने के लिये
माॅ बापू दादा दादीसब के काम निपटाती थी
और बहुत थोडा सा पाती थी उस थोडे में
भी मेरी गुलक भर जाती थी।
अभी थोडी ही गुल्लक भर पाई थी
कि मैं नयी ब्याही कहलायी थी।
अब मुझे वही क्रियायें दोहरानी थी
नये घर में अपनी जगह बनानानी थी।
इन नयों से मेरा कोई परिचय नहीं था
पर मुझे इन सब से ही तो निभानी थी ।
मैने खुद को रिजर्व गेयर में डाला
हर एक को अपनी नज़र में सभ्भाला
इसी में सारा जीवन रीत गया तब
जीवन ने अपने रंग में ढाला।
No comments:
Post a Comment