चारों ओर से मुश्किलों में घिरी वसुन्धरा।
शौर्य ,बलिदान प्रतीक थी ये वसुन्धरा।
आज भर गयी भ्रष्टाचारियों से वसुन्धरा।
आज के हालात से शर्मसार वसुन्धरा।
आज के हालात से शर्मसार वसुन्धरा।
चाह रही वीर भगत से पुत्र वसुन्धरा।
ढूढं रही है वही राम राज वसुन्धरा।
नव निर्माण और पुर्न उत्थान के वास्ते,
हम को पुकरती है राष्ट्र की वसुन्धरा।
ढूढं रही है वही राम राज वसुन्धरा।
नव निर्माण और पुर्न उत्थान के वास्ते,
हम को पुकरती है राष्ट्र की वसुन्धरा।
No comments:
Post a Comment