Monday, February 3, 2014

सत्य परम्परा

सत्य परम्परा
अस्तित्व मेरा , मेरा है
इसे तुम नकार नहीं सकते!
मस्त हाथी की चल में कितनाभी तुम चल लो
सत्य को तुम इस जहां से मिटा नही सकते!
तुम पहले प्रलोभन नहीं हो सत्य के सामने,
ना मैं ही पहला संत हूं
इन प्रलोभनों के सामने!!
जिस तरहप्रलोभनों की शृंखला है
उसी तरहसत्य के अन्वेषकों की परम्परा है.

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