Friday, February 6, 2015

सीबी एस सी स्कूल स्तर पर करायेगी कौशल विकास

कक्षा नौ से सी बी एसी छात्र छात्राओं को  रोजगारपारक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ब्यूटिशियन,बेकरी,डेयरी ,हार्टीकल्चर,बैंकिग ,एकाउंटेन्सी ,स्टैनो ग्राफर ,फैशन डिजाईनिग जैसे व्यासयिक विषयों  पाठ्यक्रम को   सम्मलित करने की पेशकश की है।इन व्यवासायिक विषयों की श्रृंखला में कम्पयूटर, एप्लीकेशन,रेफ्ररिजियेटर ,ओटो मोबाईल इत्यादि भी सम्मिलत किये गये हैं।
यह सभी विषय सी बी एस सी से सम्बद्ध पाठशालाओं में यह सभी पाठ्यक्रम उपलब्ध रहेगें।यह विषय अनिवार्य प्रकृतिके नहीं होगें।कक्षा नौ से जो विधार्थी  इन विषयों विषयों को पढना शुरू करेंगें कक्षा 12तक उनका रूझान स्पष्ट हो जायेगा। इससे उन्हे क्लास 12 में विषय चुनाने मे  मुश्किल नहीं होगी।
इसके आलावा जो बच्चे आगे रोजगार करना चाहते हैं उन्हे
12वीं के उपरान्त उन्हे रोजगार के अवसर उपलब्ध होगें।
इससे बच्चे जल्दी कमाना शुरु  करके शीघ्र आर्थिक विकास से जुड सकेगें।और इसी तरह उसी विषय को आगे पढने के इच्छुक छात्रों को विषय की सकंल्पना पहले से मालूम होगी।
सी बी एस सी को शीघ्र इन विषयों को पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर युवाओं को रोजगार पारक शिक्षा प्रदान करने की ओर कदम अग्रसर करने चाहिये।








Wednesday, February 4, 2015

जब मुश्किलें बने वरदान

मित्रों कभी कभी हमारी विकट परिस्थति हमें नया भी दे जाती है । यदि हम उस परिस्थिति को धैर्य पूर्वक सह  ले। गत वर्ष मई के प्रथम साप्ताह के पहले रविवार को मैं और मेरे पति करीब सात बजे शहर के मुख्य बाजार के लिये घर से निकले साढे सात बजे कार पार्क कर क्रकरी की दुकानों को खंगालने के लिये आगे बढ़ रहे थे कि सड़क की चिकनाहट पर मेरा पांव फिसला और मैं स्लिप होकर गिर गयी।मेरे सीधे हाथ में फ्ररैक्चर हो गया।
  हम बाजार से सीधे अस्पताल गये ।हाथ में प्लास्टर करा कर घर आये । अगले दिन से मुझे सवा महीने की छुट्टी लेनी पडी। दो चार दिन बाद जैसे ही दर्द कम हुआ ,वैसे ही मुझे महसूस हुआ गर्मी के इतने लंबे दिन बिना नौकरी के कैसे काटूंगी।
तब मैंने मित्रों द्वारा संचालित काव्य समूह ज्वाइन कर लिया। समूह पर अग्रज नई नई विधायें कविता की सीखा रहे थे। सवा महीने की उस अवधि में मैंने काव्य की अनेक विधाओं को सीखना शुरू किया । साथ ही इन सब विधाओं की थ्योरिटिकल जानकारी भी जानी।
यह सब विधायें बहुत वर्षों से सीखना ,समझना चाहती थी।परन्तु नहीं कर पाई। हाथ का फ्ररैक्चर मेरे लिये अभिशाप के बदले वरदान साबित हुआ। मेरा सवा महीना कब कट गया मुझे पता भी नहीं चला। सवा महीने बाद मैं दोहों और मुक्तक ,गजल ,गीत लिखने की दिशा में अग्रसर थी।
                                
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पुस्तक समीक्षा ः एक महात्मा एक संत

​ पुस्तक समीक्षा             *एक था डॉक्टर   था संत*            ( आम्बेडकर गांधी संवाद )  लेखिका - अरुन्धती राय पृष्ठ संख्या -139  क़ीमत - 2...