Friday, February 7, 2014

आम आदमी

हशिये से उठकर,
आम आदमी
सियासतदारों की जुबां पर आगया,
आम आदमी का जुमला
सडक से उटकर
पार्लियामेंट पर छा गया!
जिसदिन आम आदमी
हाशिये से उठकर
मुख्यधारा से जुडजायेगा,
उसदिन ये देश
लोकतन्त्र की कसौटी पर खरा उतर जायेगा.

Monday, February 3, 2014

सत्य परम्परा

सत्य परम्परा
अस्तित्व मेरा , मेरा है
इसे तुम नकार नहीं सकते!
मस्त हाथी की चल में कितनाभी तुम चल लो
सत्य को तुम इस जहां से मिटा नही सकते!
तुम पहले प्रलोभन नहीं हो सत्य के सामने,
ना मैं ही पहला संत हूं
इन प्रलोभनों के सामने!!
जिस तरहप्रलोभनों की शृंखला है
उसी तरहसत्य के अन्वेषकों की परम्परा है.

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मधु की तलाश.

मधु की तलाश करती हूं.
मैं जीवन के फलसफों में विश्वास करती हूं,
रेणु बनकर धरा पर चलती हूं
मैं जीवन में जिन्दगी तलाश करती हूं,
ता-उम्र साथ चलतेदिखते है
तह में जाये तो हर कोई हरकिसी से जुदा है.
जुदाई का आलम तोड दो
जिन्दगी में मोहब्बत के रंग घोल दो
मधु की तलाश करती हूं मैं
फलसफों में विश्वास करती हूं.

पुस्तक समीक्षा ः एक महात्मा एक संत

​ पुस्तक समीक्षा             *एक था डॉक्टर   था संत*            ( आम्बेडकर गांधी संवाद )  लेखिका - अरुन्धती राय पृष्ठ संख्या -139  क़ीमत - 2...