मित्रों ,विवाह भारतीय संस्कृति में एक महत्व पूर्ण संस्कार है ।इस संस्कार पर खर्च होने वाले लवाजमों पर तो श्रृंखलावार कुछ कंहूगी परन्तु आज मैं आज विवाह में बनने वाले भोज्य पदार्थों का विवरण प्रस्तुत करुंगी ,क्योंकि गत वर्षों में बहुत विवाह से समारोहों में मैने महसूस किया है कि आज कल चलन है कि दोनों पक्ष एक ही समारोह रखते है ।दोनों पक्षों के लोग यहां होते है।जिससे अस्त व्यस्वथा हो जाती है।करीबी बन्धु बान्धव नवयुगल से नहीं मिल पाते ।इतनी भीड में किसी को मालूम ही चलता की कौन किस पक्ष से है।भीड में खाने का मैन्यू पता करते समय हो जाता ।कोल्ड डिन्क,4,5 से दस प्रकार के पेय ,फल चाट, टिकी,पानी पताशे ,पापडीचाट ,चिला न्यूडल्स ,ड्राई फ्रूट चाट।
इडली, दोसा ,वडा,संभर,पिजा, बाटला बाटी ,दाल बाटी चूरमा,
मैन कोर्स में दाल छोले चावल पाचं छह सब्जियां,पांच सात मिठाई ,चार पांच नमकीन , पूरी सलाद आचार अंकुरित मूंग मोठ ,इत्यादि ।
अब आइये तन्दूर पर नान ,तन्दूरी रोटी , लछा पराठां,मिसी ,तवा रोटी,बेजड रोटी,मक्का, बाजरा ,रोटियां। दाल फराई ,दाल बिना प्याज ,तन्दूरी सब्जियां, दही बडा,रायता इत्यादि।
अब डेजर्टस पर आये नजर दौडाये और सोचे दूध जलेबी, रस मलाई, गुलाब जामुन,दाल का हलवा ,गाजर हलवा,फ्रूट का कुछ ,खीर मोहन ,अब जो आप को याद आये जोड ले।यह सब शादी समारोह के एक कार्यक्रम में परोसे जाने वाला जाने वाला भोजन है।जो मध्यम वर्गीय शादियों में होता है।
मेरा सवाल इतना है कि आज ज्यादातर लोग सभंल कर खाते है तो फिर इतने प्रकार का खाना क्यूं बनवाया जाता है।
वैरयटी अधिकता विवाह के खर्च तो बढ़ जाता है और खाने वाले को मजा नहीं आता। कई बार खाने वाला तय ही नहीं कर पाता कि उसे क्या खाना है।और एक चीज से दूसरी चीज कि दूरी इतनी होती है कि वहां पंहुच ही नहीं पाते।भोजन की बहुत वेस्टेज बहुत होती है ।जिस देश में गरीब बच्चे भूखे सोते हो वहां शादयों में अन्न की बेहताशा बर्बादी होती है।इस हमें रोकना चाहिये।
शादियों में भोजन का मैन्यू कम करके ।आप अपने मेहमानों का आवभगत कर सकते निर्धारित मैन्यू से कीजिये।सब कुछ विवाह में ही नहीं अन्य अवसरों के लिये बचाईये।विवाह पहला और आखिरी अवसर नहीं होता मेहमान नवाजी के लिये। यह अवसरों की शुरूवात है।अतः कुछ चीजे अगले अवसर जैसे बहू का जन्मदिन,विवाह उपरांत शिशु जन्म उत्सव , हर पहला त्यौहार बहू का या दमाद का या नव शिशु का।हमारे देश में तो रोज उत्सव का मना कर जीमा सकते है।तो सब कुछ एक ही बार क्यूं ,? बार बार क्यू नहीं?
Wednesday, March 4, 2015
विवाह समारोहों में अनेक प्रकार के व्यंजन
Subscribe to:
Comments (Atom)
पुस्तक समीक्षा ः एक महात्मा एक संत
पुस्तक समीक्षा *एक था डॉक्टर था संत* ( आम्बेडकर गांधी संवाद ) लेखिका - अरुन्धती राय पृष्ठ संख्या -139 क़ीमत - 2...
-
आजकल युवा पीढी में आत्म हत्या के बहुत मामले इन दिनों देखने सुनने को मिल रहे हैं।प्रत्यूषा बनर्जी के अप्रत्याशित रुप से चला जाना सबके मन में ...
-
सत्य परम्परा अस्तित्व मेरा , मेरा है इसे तुम नकार नहीं सकते! मस्त हाथी की चल में कितनाभी तुम चल लो सत्य को तुम इस जहां से मिटा नही सकते!...
-
मित्रों ,विवाह भारतीय संस्कृति में एक महत्व पूर्ण संस्कार है ।इस संस्कार पर खर्च होने वाले लवाजमों पर तो श्रृंखलावार कुछ कंहूगी परन्तु आज म...